9. इसलिये जो प्रजा की दशा होगी, वही याजक की भी होगी; मैं उनके चालचलन का दण्ड दूंगा, और उनके कामों के अनुकूल उन्हें बदला दूंगा।
10. वे खाएंगे तो सही, परन्तु तृप्त न होंगे, और वेश्यागमन तो करेंगे, परन्तु न बढ़ेंगे; क्योंकि उन्होंने यहोवा की ओर मन लगाना छोड़ दिया है॥
11. वेश्यागमन और दाखमधु और ताजा दाखमधु, ये तीनों बुद्धि को भ्रष्ट करते हैं।
12. मेरी प्रजा के लोग काठ के पुतले से प्रश्न करते हैं, और उनकी छड़ी उन को भविष्य बताती है। क्योंकि छिनाला कराने वाली आत्मा ने उन्हें बहकाया है, और वे अपने परमेश्वर की आधीनता छोड़ कर छिनाला करते हैं।
13. बांज, चिनार और छोटे बांज वृक्षों की छाया अच्छी होती है, इसलिये वे उनके नीचे और पहाड़ों की चोटियों पर यज्ञ करते, और टीलों पर धूप जलाते हैं॥ इस कारण तुम्हारी बेटियां छिनाल और तुम्हारी बहुएं व्यभिचारिणी हो गई हैं।