हबक्कूक 2:3-12 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

3. क्योंकि इस दर्शन की बात नियत समय में पूरी होने वाली है, वरन इसके पूरे होने का समय वेग से आता है; इस में धोखा न होगा। चाहे इस में विलम्ब भी हो, तौभी उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्चय पूरी होगी और उस में देर न होगी।

4. देख, उसका मन फूला हुआ है, उसका मन सीधा नहीं है; परन्तु धर्मी अपने विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा।

5. दाखमधु से धोखा होता है; अहंकारी पुरूष घर में नहीं रहता, और उसकी लालसा अधोलोक के समान पूरी नहीं होती, और मृत्यु की नाईं उसका पेट नहीं भरता। वह सब जातियों को अपने पास खींच लेता, और सब देशों के लोगों को अपने पास इकट्ठे कर रखता है॥

6. क्या वे सब उसका दृष्टान्त चला कर, और उस पर ताना मार कर न कहेंगे कि हाय उस पर जो पराया धल छीन छीनकर धनवान हो जाता है? कब तक? हाय उस पर जो अपना घर बन्धक की वस्तुओं से भर लेता है।

7. जो तुझ से कर्ज लेते हैं, क्या वे लोग अचानक न उठेंगे? और क्या वे न जागेंगे जो तुझ को संकट में डालेंगे?

8. और क्या तू उन से लूटा न जाएगा? तू ने बहुत सी जातियों को लूट लिया है, सो सब बचे हुए लोग तुझे भी लूट लेंगे। इसका कारण मनुष्यों की हत्या, और वह अपद्रव भी जो तू ने इस देश और राजधानी और इसके सब रहने वालों पर किया है॥

9. हाय उस पर, जो अपने घर के लिये अन्याय के लाभ का लोभी है ताकि वह अपना घोंसला ऊंचे स्थान में बनाकर विपत्ति से बचे।

10. तू ने बहुत सी जातियों को काट कर अपने घर लिये लज्जा की युक्ति बान्धी, और अपने ही प्राण का दोषी ठहरा है।

11. क्योंकि घर की भीत का पत्थर दोहाई देता है, और उसके छत की कड़ी उनके स्वर में स्वर मिलाकर उत्तर देती हैं।

12. हाय उस पर जो हत्या कर के नगर को बनाता, और कुटिलता कर के गढ़ को दृढ़ करता है।

हबक्कूक 2