53. उन्होंने मुझे गड़हे में डाल कर मेरे जीवन का अन्त करने के लिये मेरे ऊपर पत्थर लुढ़काए हैं;
54. मेरे सिर पर से जल बह गया, मैं ने कहा, मैं अब नाश हो गया।
55. हे यहोवा, गहिरे गड़हे में से मैं ने तुझ से प्रार्थना की;
56. तू ने मेरी सुनी कि जो दोहाई देकर मैं चिल्लाता हूँ उस से कान न फेर ले!
57. जब मैं ने तुझे पुकारा, तब तू ने मुझ से कहा, मत डर!
58. हे यहोवा, तू ने मेरा मुक़द्दमा लड़ कर मेरा प्राण बचा लिया है।
59. हे यहोवा, जो अन्याय मुझ पर हुआ है उसे तू ने देखा है; तू मेरा न्याय चुका।
60. जो बदला उन्होंने मुझ से लिया, और जो कल्पनाएं मेरे विरुद्ध कीं, उन्हें भी तू ने देखा है।