3. सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई।
4. उस में जीवन था; और वह जीवन मुनष्यों की ज्योति थी।
5. और ज्योति अन्धकार में चमकती है; और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया।
6. एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था।
7. यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं।
8. वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था।
9. सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी।
10. वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना।