5. उठो, हम रात ही रात चढ़ाई करें और उसके महलों को ढा दें।
6. सेनाओं का यहोवा तुम से कहता है, वृक्ष काट काटकर यरूशलेम के विरुद्ध दमदमा बान्धो! यह वही नगर है जो दण्ड के योग्य है; इस में अन्धेर ही अनधेर भरा हुआ है।
7. जैसा कूएं में से नित्य नया जल निकला करता है, वैसा ही इस नगर में से नित्य नई बुराई निकलती है; इस में उत्पात और उपद्रव का कोलाहल मचा रहता है; चोट और मारपीट मेरे देखने में निरन्तर आती है।
8. हे यरूशलेम, ताड़ना से ही मान ले, नहीं तो तू मेरे मन से भी उतर जाएगी; और, मैं तुझ को उजाड़कर निर्जन कर डालूंगा।
9. सेनाओं का यहोवा यों कहता है, इस्राएल के सब बचे हुए दाखलता की नाईं ढूंढ़ कर तोड़े जाएंगे; दाख के तोड़ने वाले की नाईं उस लता की डालियों पर फिर अपना हाथ लगा।