37. क्योंकि सब के सिर मुंड़े गए और सब की दाढिय़ां नोची गई; सब के हाथ चीरे हुए, और सब की कमरों में टाट बन्धा हुआ है।
38. मोआब के सब घरों की छतों पर और सब चौंकों में रोना पीटना हो रहा है; क्योंकि मैं ने मोआब को तुच्छ बरतन की नाईं तोड़ डाला है यहोवा की यह वाणी है।
39. मोआब कैसे विस्मित हो गया! हाय, हाय, करो! क्योंकि उसने कैसे लज्जित हो कर पीठ फेरी है! इस प्रकार मोआब के चारों ओर के सब रहने वाले उसका ठट्ठा करेंगे और विस्मित हो जाएंगे।
40. क्योंकि यहोवा यों कहता है, देखो, वह उकाब सा उड़ेगा और मोआब के ऊपर अपने पंख फैलाएगा।
41. करिय्योत ले लिया गया, और गढ़ वाले नगर दूसरों के वश में पड़ गए। उस दिन मोआबी वीरों के मन जच्चा स्त्री के से हो जाएंगे;
42. और मोआब ऐसा तितर-बितर हो जाएगा कि उसका दल टूट जाएगा, क्योंकि उसने यहोवा के विरुद्ध बड़ाई मारी है।
43. यहोवा की यह वाणी है कि हे मोआब के रहने वाले, तेरे लिये भय और गड़हा और फन्दे ठहराए गए हैं।
44. जो कोई भय से भागे वह गड़हे में गिरेगा, और जो कोई गड़हे में से निकले, वह फन्दे में फंसेगा। क्योंकि मैं मोआब के दण्ड का दिन उस पर ले आऊंगा, यहोवा की यही वाणी है।