3. क्योंकि उनके निवासियों ने वह बुराई की जिस से उन्होंने मुझे रिस दिलाई थी वे जा कर दूसरे देवताओं के लिये धूप जलाते थे और उनकी उपासना करते थे, जिन्हें न तो तुम और न तुम्हारे पुरखा जानते थे।
4. तौभी मैं अपने सब दास भविष्यद्वक्ताओं को बड़े यत्न से यह कहने के लिये तुम्हारे पास भेजता रहा कि यह घृणित काम मत करो, जिस से मैं घृणा रखता हूँ।
5. पर उन्होंने मेरी न सुनी और न मेरी ओर कान लगाया कि अपनी बुराई से फिरें और दूसरे देवताओं के लिये धूप न जलाएं।
6. इस कारण मेरी जलजलाहट और कोप की आग यहूदा के नगरों और यरूशलेम की सड़कों पर भड़क गई; और वे आज के दिन तक उजाड़ और सुनसान पड़े हैं।
7. अब यहोवा, सेनाओं का परमेश्वर, जो इस्राएल का परमेश्वर है, यों कहता है, तुम लोग क्यों अपनी यह बड़ी हानि करते हो, कि क्या पुरुष, क्या स्त्री, क्या बालक, क्या दूधपिउवा बच्चा, तुम सब यहूदा के बीच से नाश किए जाओ, और कोई न रहे?