5. परन्तु, यदि तुम इन बातों को न मानो तो, मैं अपनी ही सौगन्ध खाकर कहता हूँ, यहोवा की यह वाणी है, कि यह भवन उजाड़ हो जाएगा।
6. क्योंकि यहोवा यहूदा के राजा के इस भवन के विषय में यों कहता है, तू मुझे गिलाद देश सा और लबानोन के शिखर सा दिखाई पड़ता है, परन्तु निश्चय मैं तुझे मरुस्थल व एक निर्जन नगर बनाऊंगा।
7. मैं नाश करने वालों को हथियार देकर तेरे विरुद्ध भेजूंगा; वे तेरे सुन्दर देवदारों को काट कर आग में झोंक देंगे।
8. और जाति जाति के लोग जब इस नगर के पास से निकलेंगे तब एक दूसरे से पूछेंगे, यहोवा ने इस बड़े नगर की ऐसी दशा क्यों की है?
9. तब लोग कहेंगे, इसका कारण यह हे कि उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा की वाचा को तोड़ कर दूसरे देवताओं को दण्डवत की और उनकी उपासना भी की।
10. मरे हुओं के लिये मत रोओ, उसके लिये विलाप मत करो। उसी के लिये फूट फूटकर रोओ जो परदेश चला गया है, क्योंकि वह लौट कर अपनी जन्मभूमि को फिर कभी देखने न पाएगा।
11. क्योंकि यहूदा के राजा योशिय्याह का पुत्र शल्लूम, जो अपने पिता योशिय्याह के स्थान पर राजा था और इस स्थान से निकल गया, उसके विषय में यहोवा यों कहता है कि वह फिर यहां लौट कर न आने पाएगा।