12. और पीठ हाथ और पंखों समेत करूबों का सारा शरीर और जो पहिये उनके हैं, वे भी सब के सब चारों ओर आंखों से भरे हुए हैं।
13. मेरे सुनते हुए इन पहियों को चक्कर कहा गया, अर्थात घूमने वाले पहिये।
14. और एक एक के चार चार मुख थे; एक मुख तो करूब का सा, दूसरा मनुष्य का सा, तीसरा सिंह का सा, और चौथा उकाब पक्षी का सा।
15. और करूब भूमि पर से उठ गए। ये वे ही जीवधारी हैं, जो मैं ने कबार नदी के पास देखे थे।