15. जैसे कि मिस्र देश से तेरे निकल आने के दिनों में, वैसी ही अब मैं उसको अद्भुत काम दिखाऊंगा।
16. अन्यजातियां देखकर अपने सारे पराक्रम के विषय में लजाएंगी; वे अपने मुंह को हाथ से छिपाएंगी, और उनके कान बहिरे हो जाएंगे।
17. वे सर्प की नाईं मिट्टी चाटेंगी, और भूमि पर रेंगने वाले जन्तुओं की भांति अपने बिलों में से कांपती हुई निकलेंगी; हे हमारे परमेश्वर यहोवा के पास थरथराती हुई आएंगी, और वे तुझ से डरेंगी॥