मरकुस 12:30-37 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

30. और तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना।

31. और दूसरी यह है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना: इस से बड़ी और कोई आज्ञा नहीं।

32. शास्त्री ने उस से कहा; हे गुरू, बहुत ठीक! तू ने सच कहा, कि वह एक ही है, और उसे छोड़ और कोई नहीं।

33. और उस से सारे मन और सारी बुद्धि और सारे प्राण और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना और पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमों और बलिदानों से बढ़कर है।

34. जब यीशु ने देखा कि उस ने समझ से उत्तर दिया, तो उस से कहा; तू परमेश्वर के राज्य से दूर नहीं: और किसी को फिर उस से कुछ पूछने का साहस न हुआ॥

35. फिर यीशु ने मन्दिर में उपदेश करते हुए यह कहा, कि शास्त्री क्योंकर कहते हैं, कि मसीह दाऊद का पुत्र है?

36. दाऊद ने आप ही पवित्र आत्मा में होकर कहा है, कि प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा; मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों की पीढ़ी न कर दूं।

37. दाऊद तो आप ही उसे प्रभु कहता है, फिर वह उसका पुत्र कहां से ठहरा? और भीड़ के लोग उस की आनन्द से सुनते थे॥

मरकुस 12