25. उन को शूरवीरों की सी रोटी मिली; उसने उन को मनमाना भोजन दिया।
26. उसने आकाश में पुरवाई को चलाया, और अपनी शक्ति से दक्खिनी बहाई;
27. और उनके लिये मांस धूलि की नाईं बहुत बरसाया, और समुद्र के बालू के समान अनगिनित पक्षी भेजे;
28. और उनकी छावनी के बीच में, उनके निवासों के चारों ओर गिराए।
29. और वे खाकर अति तृप्त हुए, और उसने उनकी कामना पूरी की।