8. उन्होंने मन में कहा है कि हम इन को एकदम दबा दें; उन्होंने इस देश में ईश्वर के सब सभा स्थानों को फूंक दिया है॥
9. हम को हमारे निशान नहीं देख पड़ते; अब कोई नबी नहीं रहा, न हमारे बीच कोई जानता है कि कब तक यह दशा रहेगी।
10. हे परमेश्वर द्रोही कब तक नामधराई करता रहेगा? क्या शत्रु, तेरे नाम की निन्दा सदा करता रहेगा?
11. तू अपना दहिना हाथ क्यों रोके रहता है? उसे अपने पांजर से निकाल कर उनका अन्त कर दे॥
12. परमेश्वर तो प्राचीन काल से मेरा राजा है, वह पृथ्वी पर उद्धार के काम करता आया है।