11. सब राजा दण्डवत करेंगे, जाति जाति के लोग उसके आधीन हो जाएंगे॥
12. क्योंकि वह दोहाई देने वाले दरिद्र को, और दु:खी और असहाय मनुष्य का उद्धार करेगा।
13. वह कंगाल और दरिद्र पर तरस खाएगा, और दरिद्रों के प्राणो को बचाएगा।
14. वह उनके प्राणों को अन्धेर और उपद्रव से छुड़ा लेगा; और उनका लोहू उसकी दृष्टि में अनमोल ठहरेगा॥
15. वह तो जीवित रहेगा और शेबा के सोने में से उसको दिया जाएगा। लोग उसके लिये नित्य प्रार्थना करेंगे; और दिन भर उसको धन्य कहते रहेंगे।