17. मैं ने उसको पुकारा, और उसी का गुणानुवाद मुझ से हुआ।
18. यदि मैं मन में अनर्थ बात सोचता तो प्रभु मेरी न सुनता।
19. परन्तु परमेश्वर ने तो सुना है; उसने मेरी प्रार्थना की ओर ध्यान दिया है॥
20. धन्य है परमेश्वर, जिसने न तो मेरी प्रार्थना अनसुनी की, और न मुझ से अपनी करूणा दूर कर दी है!