1. परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक।
2. इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं;
3. चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें॥
4. एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है।