14. अपने निवास के स्थान से वह पृथ्वी के सब रहने वालों को देखता है,
15. वही जो उन सभों के हृदयों को गढ़ता, और उनके सब कामों का विचार करता है।
16. कोई ऐसा राजा नहीं, जो सेना की बहुतायत के कारण बच सके; वीर अपनी बड़ी शक्ति के कारण छूट नहीं जाता।
17. बच निकलने के लिये घोड़ा व्यर्थ है, वह अपने बड़े बल के द्वारा किसी को नहीं बचा सकता है॥