17. और यदि मुझे तुम्हारे विश्वास के बलिदान और सेवा के साथ अपना लोहू भी बहाना पड़े तौभी मैं आनन्दित हूं, और तुम सब के साथ आनन्द करता हूं।
18. वैसे ही तुम भी आनन्दित हो, और मेरे साथ आनन्द करो॥
19. मुझे प्रभु यीशु में आशा है, कि मैं तीमुथियुस को तुम्हारे पास तुरन्त भेजूंगा, ताकि तुम्हारी दशा सुनकर मुझे शान्ति मिले।
20. क्योंकि मेरे पास ऐसे स्वाभाव का कोई नहीं, जो शुद्ध मन से तुम्हारी चिन्ता करे।
21. क्योंकि सब अपने स्वार्थ की खोज में रहते हैं, न कि यीशु मसीह की।
22. पर उसको तो तुम ने परखा और जान भी लिया है, कि जैसा पुत्र पिता के साथ करता है, वैसा ही उस ने सुसमाचार के फैलाने में मेरे साथ परिश्रम किया।