14. तब यूसुफ ने अपने पिता याकूब और अपने सारे कुटुम्ब को, जो पछत्तर व्यक्ति थे, बुला भेजा।
15. तब याकूब मिसर में गया; और वहां वह और हमारे बाप दादे मर गए।
16. और वे शिकिम में पहुंचाए जाकर उस कब्र में रखे गए, जिसे इब्राहीम ने चान्दी देकर शिकिम में हमोर की सन्तान से मोल लिया था।
17. परन्तु जब उस प्रतिज्ञा के पूरे होने का समय निकट आया, तो परमेश्वर ने इब्राहीम से की थी, तो मिसर में वे लोग बढ़ गए; और बहुत हो गए।
18. जब तक कि मिसर में दूसरा राजा न हुआ जो यूसुफ को नहीं जानता था।