29. कि तुम मूरतों के बलि किए हुओं से, और लोहू से, और गला घोंटे हुओं के मांस से, और व्यभिचार से, परे रहो। इन से परे रहो; तो तुम्हारा भला होगा आगे शुभ॥
30. फिर वे विदा होकर अन्ताकिया में पहुंचे, और सभा को इकट्ठी करके वह उन्हें पत्री दे दी।
31. और वे पढ़कर उस उपदेश की बात से अति आनन्दित हुए।
32. और यहूदा और सीलास ने जो आप भी भविष्यद्वक्ता थे, बहुत बातों से भाइयों को उपदेश देकर स्थिर किया।
33. वे कुछ दिन रहकर भाइयों से शान्ति के साथ विदा हुए, कि अपने भेजने वालों के पास जाएं।
34. (परन्तु सीलास को वहां रहना अच्छा लगा।)