27. और उसके साथ बातचीत करता हुआ भीतर गया, और बहुत से लोगों को इकट्ठे देखकर।
28. उन से कहा, तुम जानते हो, कि अन्यजाति की संगति करना या उसके यहां जाना यहूदी के लिये अधर्म है, परन्तु परमेश्वर ने मुझे बताया है, कि किसी मनुष्य को अपवित्र था अशुद्ध न कहूं।
29. इसी लिये मैं जब बुलाया गया; तो बिना कुछ कहे चला आया: अब मैं पूछता हूं कि मुझे किस काम के लिये बुलाया गया है
30. कुरनेलियुस ने कहा; कि इस घड़ी पूरे चार दिन हुए, कि मैं अपने घर में तीसरे पहर को प्रार्थना कर रहा था; कि देखो, एक पुरूष चमकीला वस्त्र पहिने हुए, मेरे साम्हने आ खड़ा हुआ।
31. और कहने लगा, हे कुरनेलियुस, तेरी प्रार्थना सुन ली गई, और तेरे दान परमेश्वर के साम्हने स्मरण किए गए हैं।