4. और चौबीसों प्राचीनों और चारों प्राणियों ने गिर कर परमेश्वर को दण्डवत् किया; जो सिंहासन पर बैठा था, और कहा, आमीन, हल्लिलूय्याह!
5. और सिंहासन में से एक शब्द निकला, कि हे हमारे परमेश्वर से सब डरने वाले दासों, क्या छोटे, क्या बड़े; तुम सब उस की स्तुति करो।
6. फिर मैं ने बड़ी भीड़ का सा, और बहुत जल का सा शब्द, और गर्जनों का सा बड़ा शब्द सुना, कि हल्लिलूय्याह! इसलिये कि प्रभु हमारा परमेश्वर, सर्वशक्तिमान राज्य करता है।
7. आओ, हम आनन्दित और मगन हों, और उस की स्तुति करें; क्योंकि मेम्ने का ब्याह आ पहुंचा: और उस की पत्नी ने अपने आप को तैयार कर लिया है।
8. और उस को शुद्ध और चमकदार महीन मलमल पहिनने का अधिकार दिया गया, क्योंकि उस महीन मलमल का अर्थ पवित्र लोगों के धर्म के काम हैं।
9. और उस ने मुझ से कहा; यह लिख, कि धन्य वे हैं, जो मेम्ने के ब्याह के भोज में बुलाए गए हैं; फिर उस ने मुझ से कहा, ये वचन परमेश्वर के सत्य वचन हैं।