21. तब पलिश्तियों ने उसको पकड़कर उसकी आंखें फोड़ डालीं, और उसे अज्जा को ले जाके पीतल की बेडिय़ों से जकड़ दिया; और वह बन्दीगृह में चक्की पीसने लगा।
22. उसके सिर के बाल मुण्ड जाने के बाद फिर बढ़ने लगे॥
23. तब पलिश्तियों के सरदार अपने दागोन नाम देवता के लिये बड़ा यज्ञ, और आनन्द करने को यह कहकर इकट्ठे हुए, कि हमारे देवता ने हमारे शत्रु शिमशोन को हमारे हाथ में कर दिया है।
24. और जब लोगों ने उसे देखा, तब यह कहकर अपने देवता की स्तुति की, कि हमारे देवता ने हमारे शत्रु और हमारे देश के नाश करने वाले को, जिसने हम में से बहुतों को मार भी डाला, हमारे हाथ में कर दिया है।
25. जब उनका मन मगन हो गया, तब उन्होंने कहा, शिमशोन को बुलवा लो, कि वह हमारे लिये तमाशा करे। इसलिये शिमशोन बन्दीगृह में से बुलवाया गया, और उनके लिये तमाशा करने लगा, और खम्भों के बीच खड़ा कर दिया गया।