नीतिवचन 5:6-15 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

6. इसलिये उसे जीवन का समथर पथ नहीं मिल पाता; उसके चालचलन में चंचलता है, परन्तु उसे वह आप नहीं जानती॥

7. इसलिये अब हे मेरे पुत्रों, मेरी सुनो, और मेरी बातों से मुंह न मोड़ो।

8. ऐसी स्त्री से दूर ही रह, और उसकी डेवढ़ी के पास भी न जाना;

9. कहीं ऐसा न हो कि तू अपना यश औरों के हाथ, और अपना जीवन क्रूर जन के वश में कर दे;

10. या पराए तेरी कमाई से अपना पेट भरें, और परदेशी मनुष्य तेरे परिश्रम का फल अपने घर में रखें;

11. और तू अपने अन्तिम समय में जब कि तेरा शरीर क्षीण हो जाए तब यह कह कर हाय मारने लगे, कि

12. मैं ने शिक्षा से कैसा बैर किया, और डांटने वाले का कैसा तिरस्कार किया!

13. मैं ने अपने गुरूओं की बातें न मानी और अपने सिखाने वालों की ओर ध्यान न लगाया।

14. मैं सभा और मण्डली के बीच में प्राय: सब बुराइयों में जा पड़ा॥

15. तू अपने ही कुण्ड से पानी, और अपने ही कूंए से सोते का जल पिया करना।

नीतिवचन 5