नीतिवचन 14:18-30 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

18. भोलों का भाग मूढ़ता ही होता है, परन्तु चतुरों को ज्ञानरूपी मुकुट बान्धा जाता है।

19. बुरे लोग भलों के सम्मुख, और दुष्ट लोग धर्मी के फाटक पर दण्डवत करते हैं।

20. निर्धन का पड़ोसी भी उस से घृणा करता है, परन्तु धनी के बहुतेरे प्रेमी होते हैं।

21. जो अपने पड़ोसी को तुच्छ जानता, वह पाप करता है, परन्तु जो दीन लोगों पर अनुग्रह करता, वह धन्य होता है।

22. जो बुरी युक्ति निकालते हैं, क्या वे भ्रम में नहीं पड़ते? परन्तु भली युक्ति निकालने वालों से करूणा और सच्चाई का व्यवहार किया जाता है।

23. परिश्रम से सदा लाभ होता है, परन्तु बकवाद करने से केवल घटती होती है।

24. बुद्धिमानों का धन उन का मुकुट ठहरता है, परन्तु मूर्खों की मूढ़ता निरी मूढ़ता है।

25. सच्चा साक्षी बहुतों के प्राण बचाता है, परन्तु जो झूठी बातें उड़ाया करता है उस से धोखा ही होता है।

26. यहोवा के भय मानने से दृढ़ भरोसा होता है, और उसके पुत्रों को शरणस्थान मिलता है।

27. यहोवा का भय मानना, जीवन का सोता है, और उसके द्वारा लोग मृत्यु के फन्दों से बच जाते हैं।

28. राजा की महिमा प्रजा की बहुतायत से होती है, परन्तु जहां प्रजा नहीं, वहां हाकिम नाश हो जाता है।

29. जो विलम्ब से क्रोध करने वाला है वह बड़ा समझ वाला है, परन्तु जो अधीर है, वह मूढ़ता की बढ़ती करता है।

30. शान्त मन, तन का जीवन है, परन्तु मन के जलने से हड्डियां भी जल जाती हैं।

नीतिवचन 14