1. झूठी बात न फैलाना। अन्यायी साक्षी हो कर दुष्ट का साथ न देना।
2. बुराई करने के लिये न तो बहुतों के पीछे हो लेना; और न उनके पीछे फिरके मुकद्दमें में न्याय बिगाड़ने को साक्षी देना;
3. और कंगाल के मुकद्दमें में उसका भी पक्ष न करना॥
4. यदि तेरे शत्रु का बैल वा गदहा भटकता हुआ तुझे मिले, तो उसे उसके पास अवश्य फेर ले आना।