23. वरन तू ने स्वर्ग के प्रभु के विरुद्ध सिर उठा कर उसके भवन के पात्र मंगवा कर अपने साम्हने धरवा लिए, और अपने प्रधानों और रानियों और रखेलियों समेत तू ने उन में दाखमधु पिया; और चान्दी-सोने, पीतल, लोहे, काठ और पत्थर के देवता, जो न देखते न सुनते, न कुछ जानते हैं, उनकी तो स्तुति की, परन्तु परमेश्वर, जिसके हाथ में तेरा प्राण है, और जिसके वश में तेरा सब चलना फिरना है, उसका सन्मान तू ने नहीं किया॥
24. तब ही यह हाथ का एक भाग उसी की ओर से प्रगट किया गया है और वे शब्द लिखे गए हैं।
25. और जो शब्द लिखे गए वे ये हैं, मने, मने, तकेल, और ऊपर्सीन।
26. इस वाक्य का अर्थ यह है, मने, अर्थात परमेश्वर ने तेरे राज्य के दिन गिनकर उसका अन्त कर दिया है।
27. तकेल, तू मानो तराजू में तौला गया और हलका पाया गया।