6. और जो कोई गिरकर दण्डवत न करेगा वह उसी घड़ी धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाल दिया जाएगा।
7. इस कारण उस समय ज्योंही सब जाति के लोगों को नरसिंगे, बांसुली, वीणा, सारंगी, सितार शहनाई आदि सब प्रकार के बाजों का शब्द सुन पड़ा, त्योंही देश-देश और जाति-जाति के लोगों और भिन्न-भिन्न भाषा बोलने वालों ने गिर कर उस सोने की मूरत को जो नबूकदनेस्सर राजा ने खड़ी कराई थी, दण्डवत की॥
8. उसी समय कई एक कसदी पुरूष राजा के पास गए, और कपट से यहूदियों की चुगली खाई।
9. वे नबुकदनेस्सर राजा से कहने लगे, हे राजा, तू चिरंजीव रहे।
10. हे राजा, तू ने तो यह आज्ञा दी है कि जो मनुष्य नरसिंगे, बांसुली, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई आदि सब प्रकार के बाजों का शब्द सुने, वह गिर कर उस सोने की मूरत को दण्डवत करे;