11. पर हम बहुत चाहते हैं, कि तुम में से हर एक जन अन्त तक पूरी आशा के लिये ऐसा ही प्रयत्न करता रहे।
12. ताकि तुम आलसी न हो जाओ; वरन उन का अनुकरण करो, जो विश्वास और धीरज के द्वारा प्रतिज्ञाओं के वारिस होते हैं।
13. और परमेश्वर ने इब्राहीम को प्रतिज्ञा देते समय जब कि शपथ खाने के लिये किसी को अपने से बड़ा न पाया, तो अपनी ही शपथ खाकर कहा।
14. कि मैं सचमुच तुझे बहुत आशीष दूंगा, और तेरी सन्तान को बढ़ाता जाऊंगा।