20. क्योंकि वे उस आज्ञा को न सह सके, कि यदि कोई पशु भी पहाड़ को छूए, तो पत्थरवाह किया जाए।
21. और वह दर्शन ऐसा डरावना था, कि मूसा ने कहा; मैं बहुत डरता और कांपता हूं।
22. पर तुम सिय्योन के पहाड़ के पास, और जीवते परमेश्वर के नगर स्वर्गीय यरूशलेम के पास।
23. और लाखों स्वर्गदूतों और उन पहिलौठों की साधारण सभा और कलीसिया जिन के नाम स्वर्ग में लिखे हुए हैं: और सब के न्यायी परमेश्वर के पास, और सिद्ध किए हुए धमिर्यों की आत्माओं।
24. और नई वाचा के मध्यस्थ यीशु, और छिड़काव के उस लोहू के पास आए हो, जो हाबिल के लोहू से उत्तम बातें कहता है।