1. तब अय्यूब ने कहा,
2. मैं निश्चय जानता हूं, कि बात ऐसी ही है; परन्तु मनुष्य ईश्वर की दृष्टि में क्योंकर धमीं ठहर सकता है?
3. चाहे वह उस से मुक़द्दमा लड़ना भी चाहे तौभी मनुष्य हजार बातों में से एक का भी उत्तर न दे सकेगा।
4. वह बुद्धिमान और अति सामथीं है: उसके विरोध में हठ कर के कौन कभी प्रबल हुआ है?
5. वह तो पर्वतों को अचानक हटा देता है और उन्हें पता भी नहीं लगता, वह क्रोध में आकर उन्हें उलट पुलट कर देता है।