30. जिस से उसको क़ब्र से बचाए, और वह जीवनलोक के उजियाले का प्रकाश पाए।
31. हे अय्यूब! कान लगा कर मेरी सुन; चुप रह, मैं और बोलूंगा।
32. यदि तुझे बात कहनी हो, तो मुझे उत्तर दे; बोल, क्योंकि मैं तुझे निर्दोष ठहराना चाहता हूँ।
33. यदि नहीं, तो तु मेरी सुन; चुप रह, मैं तुझे बुद्धि की बात सिखाऊंगा।