25. जब उसने वायु का तौल ठहराया, और जल को नपुए में नापा,
26. और मेंह के लिये विधि और गर्जन और बिजली के लिये मार्ग ठहराया,
27. तब उसने बुद्धि को देखकर उसका बखान भी किया, और उसको सिद्ध कर के उसका पूरा भेद बूझ लिया।
28. तब उस न मनुष्य से कहा, देख, प्रभु का भय मानना यही बुद्धि है: और बुराई से दूर रहना यही समझ है।