14. जो कुछ मेरे लिये उसने ठाना है, उसी को वह पूरा करता है; और उसके मन में ऐसी ऐसी बहुत सी बातें हैं।
15. इस कारण मैं उसके सम्मुख घबरा जाता हूँ; जब मैं सोचता हूँ तब उस से थरथरा उठता हूँ।
16. क्योंकि मेरा मन ईश्वर ही ने कच्चा कर दिया, और सर्वशक्तिमान ही ने मुझ को असमंजस में डाल दिया है।
17. इसलिये कि मैं इस अन्धयारे से पहिले काट डाला न गया, और उसने घोर अन्धकार को मेरे साम्हने से न छिपाया।