23. कोई तो अपने पूरे बल में बड़े चैन और सुख से रहता हुआ मर जाता है।
24. उसकी दोहनियां दूध से और उसकी हड्डियां गूदे से भरी रहती हैं।
25. और कोई अपने जीव में कुढ़ कुढ़कर बिना सुख भोगे मर जाता है।
26. वे दोनोंबराबर मिट्टी में मिल जाते हैं, और कीड़े उन्हें ढांक लेते हैं।
27. देखो, मैं तुम्हारी कल्पनाएं जानता हूँ, और उन युक्तियों को भी, जो तुम मेरे विषय में अन्याय से करते हो।
28. तुम कहते तो हो कि रईस का घर कहां रहा? दुष्टों के निवास के डेरे कहां रहे?
29. परन्तु क्या तुम ने बटोहियों से कभी नहीं पूछा? क्या तुम उनके इस विषय के प्रमाणों से अनजान हो,
30. कि विपत्ति के दिन के लिये दुर्जन रखा जाता है; और महाप्रलय के समय के लिये ऐसे लोग बचाए जाते हैं?