14. और उसने क्या देखा कि राजा रीति के अनुसार खम्भे के पास खड़ा है, और राजा के पास प्रधान और तुरही बजाने वाले खड़े हैं। और लोग आनन्द करते और तुरहियां बजा रहे हैं। तब अतल्याह अपने वस्त्र फाड़कर राजद्रोह राजद्रोह यों पुकारने लगी।
15. तब यहोयादा याजक ने दल के अधिकारी शतपतियों को आज्ञा दी कि उसे अपनी पांतियों के बीच से निकाल ले जाओ; और जो कोई उसके पीछे चले उसे तलवार से मार डालो। क्योंकि याजक ने कहा, कि वह यहोवा के भवन में न मार डाली जाए।
16. इसलिये उन्होंने दोनों ओर से उसको जगह दी, और वह उस मार्ग के बीच से चली गई, जिस से घोड़े राजभवन में जाया करते थे; और वहां वह मार डाली गई।
17. तब यहोयादा ने यहोवा के, और राजा-प्रजा के बीच यहोवा की प्रजा होने की वाचा बन्धाई, और उसने राजा और प्रजा के मध्य भी वाचा बन्धाई।