1 शमूएल 14:19-37 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

19. शाऊल याजक से बातें कर रहा था, कि पलिश्तियों की छावनी में हुल्लड़ अधिक होता गया; तब शाऊल ने याजक से कहा, अपना हाथ खींच।

20. तब शाऊल और उसके संग के सब लोग इकट्ठे हो कर लड़ाई में गए; वहां उन्होंने क्या देखा, कि एक एक पुरूष की तलवार अपने अपने साथी पर चल रही है, और बहुत कोलाहल मच रहा है।

21. और जो इब्री पहिले की नाईं पलिश्तियों की ओर के थे, और उनके साथ चारों ओर से छावनी में गए थे, वे भी शाऊल और योनातान के संग के इस्राएलियों में मिल गए।

22. और जितने इस्राएली पुरूष एप्रैम के पहाड़ी देश में छिप गए थे, वे भी यह सुनकर कि पलिश्ती भागे जाते हैं, लड़ाई में आ उनका पीछा करने में लग गए।

23. तब यहोवा ने उस दिन इस्राएलियों को छुटकार दिया; और लड़ने वाले बेतावेन की परली ओर तक चले गए।

24. परन्तु इस्राएली पुरूष उस दिन तंग हुए, क्योंकि शाऊल ने उन लोगों को शपथ धराकर कहा, शापित हो वह, जो सांझ से पहिले कुछ खाए; इसी रीति मैं अपने शत्रुओं से पलटा ले सकूंगा। तब उन लोगों में से किसी ने कुछ भी भोजन न किया।

25. और सब लोग किसी वन में पहुंचे, जहां भूमि पर मधु पड़ा हुआ था।

26. जब लोग वन में आए तब क्या देखा, कि मधु टपक रहा है, तौभी शपथ के डर के मारे कोई अपना हाथ अपने मुंह तक न ले गया।

27. परन्तु योनातान ने अपने पिता को लोगों को शपथ धराते न सुना था, इसलिये उसने अपने हाथ की छड़ी की नोक बढ़ाकर मधु के छत्ते में डुबाया, और अपना हाथ अपने मुंह तक लगाया; तब उसकी आंखों में ज्योति आई।

28. तब लोगों में से एक मनुष्य ने कहा, तेरे पिता ने लोगों को दृढ़ता से शपथ धरा के कहा, शापित हो वह, जो आज कुछ खाए। और लोग थके मांदे थे।

29. योनातान ने कहा, मेरे पिता ने लोगों को कष्ट दिया है; देखो, मैं ने इस मधु को थोड़ा सा चखा, और मुझे आंखों से कैसा सूझने लगा।

30. यदि आज लोग अपने शत्रुओं की लूट से जिसे उन्होंने पाया मनमाना खाते, तो कितना अच्छा होता; अभी तो बहुत पलिश्ती मारे नहीं गए।

31. उस दिन वे मिकमाश से ले कर अय्यालोन तक पलिश्तियों को मारते गए; और लोग बहुत ही थक गए।

32. सो वे लूट पर टूटे, और भेड़-बकरी, और गाय-बैल, और बछड़े ले कर भूमि पर मार के उनका मांस लोहू समेत खाने लगे।

33. जब इसका समाचार शाऊल को मिला, कि लोग लोहू समेत मांस खाकर यहोवा के विरुद्ध पाप करते हैं। तब उसने उन से कहा; तुम ने तो विश्वासघात किया है; अभी एक बड़ा पत्थर मेरे पास लुढ़का दो।

34. फिर शाऊल ने कहा, लोगों के बीच में इधर उधर फिरके उन से कहो, कि अपना अपना बैल और भेड़ शाऊल के पास ले जाओ, और वहीं बलि करके खाओ; और लोहू समेत खाकर यहोवा के विरुद्ध पाप न करो। तब सब लोगों ने उसी रात अपना अपना बैल ले जा कर वहीं बलि किया।

35. तब शाऊल ने यहोवा के लिये एक वेदी बनवाई; वह तो पहिली वेदी है जो उसने यहोवा के लिये बनवाई॥

36. फिर शाऊल ने कहा, हम इसी रात को पलिश्तियों का पीछा करके उन्हें भोर तक लूटते रहें; और उन में से एक मनुष्य को भी जीवित न छोड़ें। उन्होंने कहा, जो कुछ तुझे अच्छा लगे वही कर। परन्तु याजक ने कहा, हम इधर परमेश्वर के समीप आएं।

37. तब शाऊल ने परमेश्वर से पुछवाया, कि क्या मैं पलिश्तियों का पीछा करूं? क्या तू उन्हें इस्राएल के हाथ में कर देगा? परन्तु उसे उस दिन कुछ उत्तर न मिला।

1 शमूएल 14