5. यह देखकर कि शाऊल मर गया है उसका हथियार ढोने वाला भी अपनी तलवार पर आप गिरकर मर गया।
6. यों शाऊल और उसके तीनों पुत्र, और उसके घराने के सब लोग एक संग मर गए।
7. यह देखकर कि वे भाग गए, और शाऊल और उसके पुत्र मर गए, उस तराई में रहने वाले सब इस्राएली मनुष्य अपने अपने नगर को छोड़कर भाग गए; और पलिश्ती आकर उन में रहने लगे।
8. दूसरे दिन जब पलिश्ती मारे हुओं के माल को लूटने आए, तब उन को शाऊल और उसके पुत्र गिलबो पहाड़ पर पड़े हुए मिले।
9. तब उन्होंने उसके वस्त्रें को उतार उसका सिर और हथियार ले लिया और पलिश्तियों के देश के सब स्थानों में दूतों को इसलिये भेजा कि उनके देवताओं और साधारण लोगों में यह शुभ समाचार देते जाएं।
10. तब उन्होंने उसके हथियार अपने देवालय में रखे, और उसकी खोपड़ी को दागोन के मन्दिर में लटका दिया।
11. जब गिलाद के याबेश के सब लोगों ने सुना कि पलिश्तियों ने शाऊल से क्या क्या किया है।
12. तब सब शूरवीर चले और शाऊल और उसके पुत्रों की लोथें उठा कर याबेश में ले आए, और उनकी हड्डियों को याबेश में एक बांज वृक्ष के तले गाड़ दिया और सात दिन तक अनशन किया।
13. यों शाऊल उस विश्वासघात के कारण मर गया, जो उसने यहोवा से किया था; क्योंकि उसने यहोवा का वचन टाल दिया था, फिर उसने भूतसिद्धि करने वाली से पूछकर सम्मति ली थी।
14. उसने यहोवा से न पूछा था, इसलिये यहोवा ने उसे मार कर राज्य को यिशै के पुत्र दाऊद को दे दिया।